पगली
मोह लिया जिसने दिल मेरा
केवल एक इशारे मे
जब टकराई थी मुझसे वो
बात है मई महीने की
सीने में धक - धक की आहट
माथे पे बूँद पसीने की
नज़र नज़र से मिली नज़र मुझे
आने लगी वो सारे में
उलझी जुल्फें मासूम नज़र
होठों का हिलना, पूंछो न
गालों पे लट बालों की यूँ
मस्ती में हंसना, पूंछो न
सोच रहा हूँ किससे पूंछू
अब मैं उसके बारे में
---- प्रदीप कुमार तिवारी "साथी"
जब टकराई थी मुझसे वो
बात है मई महीने की
सीने में धक - धक की आहट
माथे पे बूँद पसीने की
नज़र नज़र से मिली नज़र मुझे
आने लगी वो सारे में
उलझी जुल्फें मासूम नज़र
होठों का हिलना, पूंछो न
गालों पे लट बालों की यूँ
मस्ती में हंसना, पूंछो न
सोच रहा हूँ किससे पूंछू
अब मैं उसके बारे में
सोच - सोच के पागल हो गया
उस पगली के बारे में
उस पगली के बारे में
मोह लिया जिसने दिल मेरा
केवल एक इशारे मे-----
---- प्रदीप कुमार तिवारी "साथी"
Bahut achhi lines
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