Saturday, April 15, 2017

पगली

पगली 
सोच - सोच के पागल हो गया
उस पगली के बारे में 
मोह लिया जिसने दिल मेरा 
केवल एक इशारे मे
जब टकराई थी मुझसे वो 
बात है मई महीने की 
सीने में धक - धक की आहट 
माथे पे बूँद पसीने की 
नज़र नज़र से मिली नज़र मुझे 
आने लगी वो सारे में 
उलझी जुल्फें मासूम नज़र 
होठों का हिलना, पूंछो न 
गालों पे लट  बालों  की यूँ 
मस्ती में हंसना, पूंछो न 
सोच रहा हूँ किससे पूंछू
अब मैं उसके बारे में
सोच - सोच के पागल हो गया
उस पगली के बारे में 
मोह लिया जिसने दिल मेरा 
केवल एक इशारे मे-----


                                                   ----  प्रदीप कुमार तिवारी "साथी"





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